भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जन्म-दिन के दिन / रवीन्द्र दास

1,574 bytes added, 15:16, 19 अप्रैल 2010
नया पृष्ठ: मैं अपने जन्म-दिन के दिन सोचता हूँ कि कोई अपने जन्म-दिन पर खुश कैस…
मैं अपने जन्म-दिन के दिन सोचता हूँ

कि कोई अपने जन्म-दिन पर खुश कैसे हो पाता है ?

मैं अपने जन्म-दिन के दिन

खुश होने की कोशिश करना भूल जाता हूँ।

फिर भी मैं सोचता हूँ

कि किसी के जन्म-दिन, मसलन , गाँधी या ईसा के जन्मदिन पर

छुट्टी क्यों होती है?

किसकी और किससे होती है ?

और सोचता हूँ

कि जन्म लेना ख़ुशी की बात है या दुःख की बात !

हालाँकि यह सोचना अच्छानहीं लगता

फिर भी सोचता हूँ कि

जन्म लिया जाता है

या जन्म दिया जाता है ?

साथ में मैं यह भी सोचता हूँ

कि जन्म लेना ख़ुशी की बात है

या जन्म दिन मनाना ख़ुशी की बात ।

सच बताऊँ तो मैं सोचता नहीं

बस जानना चाहता हूँ

कि ख़ुशी का कोई कारण होता है

या यहाँ भी सिर्फ मनमानी है।
84
edits