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Kavita Kosh से
पानी में फेंका जा चुका होगा
जिस समय बीज
खेतों में बोये बोए जा चुके होंगे
जिस समय एक नाव
नदी की सबसे तेज तेज़ धार को
काट रही होगी
उसी समय
उसी समय पैदा होगी
कविता की जरूरतज़रूरत
जिस समय
उतरेंगे वृक्षों पर जंगली तोते
बाढ़ में डूबी पृथ्वी की पहली सिसकी
और एक घर के भरभराकर
गिरने की आवाजआवाज़
घने जंगलों के बीच
भूखे लोगों के पड़ाव में
खौलता हुआ अदहन
जिस समय मांगेगा माँगेगा अन्न
उसी समय
उसी समय पैदा होगी
कविता की जरूरत.ज़रूरत।</poem>
</Poem>