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Kavita Kosh से
सूधे परैं न पाँव<br />
हिया मां हरिनी भरै कुलाँचैं<br />
बयस बावरी मुँहु बिदकाबै<br />
को गीता कौ बाँचै
चिड़िया चाहै पंख पसार
उड़िबो दूरि गगन के पास