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"[[आते कैसे सूने पल / सुमित्रानंदन पंत]]" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite))
:सागर-संगम में है सुख,
:जीवन की गति में भी लय;
:मेरे क्षण-क्षण के लघु-कण :जीवन-लय से हों मधुमय।
रचनाकाल: जनवरी’ १९३२
</poem>
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