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{{KKRachna
|रचनाकार=सुमित्रानंदन पंत
|संग्रह= गुंजन / सुमित्रानंदन पंत; पल्लविनी / सुमित्रानंदन पंत
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:रच-रच रूप नवीन,
तुम सुर-नर-मुनि-इप्सित-अप्सरि!
:त्रिभुवन भर में लीन।
अंग अंग अभिनव शोभा का