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नाम रूप के भेद भर गए स्वर्ण चेतना से आलिंगित!
चक्षु वाक् मन श्रवण बन गए सूर्य अग्नि शशि दिखा दिशा परस्पर,
रूप गंध रस शब्द स्पर्श की झंकारों से पुलकित अंतर!
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