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Kavita Kosh से
पहले ये तय हो कि इस घर को बचायें कैसे <br><br>
क़हक़हा आँख की का बरताव बदल देता है <br>
हँसनेवाले तुझे आँसू नज़र आयें कैसे <br><br>
कोई अपनी ही नज़र से तो हमें देखेगा <br>
एक क़तरे को समुन्दर नज़र आयें कैसे <br><br>
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