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नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मजरूह सुल्तानपुरी }} [[Category:ग़ज़ल]]<poem> वो जो मुह फेर …
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{{KKRachna
|रचनाकार=मजरूह सुल्तानपुरी
}}
[[Category:ग़ज़ल]]<poem>
वो जो मुह फेर कर गुजर जाए
हश्र का भी नशा उतर जाए
अब तो ले ले जिन्दगी यारब
क्यों ये तोहमत भी अपने सर जाए
आज उठी इस तरह निगाहें करम
जैसे शबनम से फूल भर जाए
अजनबी रात अजनबी दुनिया
तेरा मजरूह अब किधर जाये
</poem>
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|रचनाकार=मजरूह सुल्तानपुरी
}}
[[Category:ग़ज़ल]]<poem>
वो जो मुह फेर कर गुजर जाए
हश्र का भी नशा उतर जाए
अब तो ले ले जिन्दगी यारब
क्यों ये तोहमत भी अपने सर जाए
आज उठी इस तरह निगाहें करम
जैसे शबनम से फूल भर जाए
अजनबी रात अजनबी दुनिया
तेरा मजरूह अब किधर जाये
</poem>