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|रचनाकार=मजरूह सुल्तानपुरी
}}
[[Category:ग़ज़ल]]<poem>कोई आतिश दर-सुबू शोला-ब-जाम आ ही गया
आफ़ताब आ ही गया, माहे-तमाम आ ही गया