भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

वह-2 / प्रदीप जिलवाने

736 bytes added, 08:27, 29 जून 2010
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रदीप जिलवाने |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> शायद आपको वि…
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=प्रदीप जिलवाने
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>

शायद आपको विश्‍वास न हो
परन्तु वो खुद भी नहीं जानता

कि
उसके कितने हाथों में
कितने हथियार हैं ?

कि उसके कितने पैरों में
कितने जूतें हैं ?

कि उसके कितने मुँहों में
कितने जुबानें हैं ?

और
अपने कितने सरों की
अब तक वह चढ़ा चुका है बलि।
00
778
edits