भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मसला / वीरेन डंगवाल

752 bytes added, 07:20, 2 जुलाई 2010
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वीरेन डंगवाल |संग्रह=स्याही ताल / वीरेन डंगवाल }} …
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=वीरेन डंगवाल
|संग्रह=स्याही ताल / वीरेन डंगवाल
}}
<poem>

बेईमान सजे-बजे हैं
तो क्‍या हम मान लें कि
बेईमानी भी एक सजावट है?

कातिल मजे में हैं
तो क्‍या हम मान लें कि कत्‍ल करना मजेदार काम है?

मसला मनुष्‍य का है
इसलिए हम तो हरगिज नहीं मानेंगे
कि मसले जाने के लिए ही
बना है मनुष्‍य.
00
778
edits