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नया पृष्ठ: <poem>बरसात में नहाई हरी पत्तियां सोनल धूप की छुअन जो मिली दिप-दिप कर…
<poem>बरसात में नहाई
हरी पत्तियां
सोनल धूप की छुअन जो मिली
दिप-दिप कर खिल उठीं
कुछ और भरा
उनके भीतर हरा
हर छुअन के बाद
फिर-फिर भरा
कुछ और हरा
देखो
इनके दम से
अब हरा भरा है पेड़ पूरा !
</poem>
हरी पत्तियां
सोनल धूप की छुअन जो मिली
दिप-दिप कर खिल उठीं
कुछ और भरा
उनके भीतर हरा
हर छुअन के बाद
फिर-फिर भरा
कुछ और हरा
देखो
इनके दम से
अब हरा भरा है पेड़ पूरा !
</poem>