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Kavita Kosh से
दर्पण हैं साँसें
प्रतिबिम्बों को
जन्म देती हैं।हैं ।
प्रतिबिम्ब, जो कई
दाग देते हैं प्रश्न-
कई दायरों पर
लिख देते हैं दायरे
कई सीनों पर।पर ।
छप जाती है
समय के पन्नों पर
जीवन गाथा।गाथा ।
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