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{{KKRachna
|रचनाकार=लीलाधर मंडलोई
|संग्रह=एक बहुत कोमल तान / लीलाधर मंडलोई
}}
<poem>
जैसे संदूक में
रख्ती है मां
अपनी प्यारी चीजें
कविता में इतना ही तो करता हूं मैं
00
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अपनी प्यारी चीजें
कविता में इतना ही तो करता हूं मैं
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