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[[Category:ग़ज़ल]]
किसी लिबास की खुशबू ख़ुशबू जब उड़ के आती है
तेरे बदन की जुदाई बहुत सताती है
तेरे बगैर मुझे चेन चैन कैसे पड़ता है और मेरे बगैर तुझे नीन्द नींद कैसे आती है
रिश्ता-ए-दिल तेरे ज़माने में
रो न पड़ते अगर खुशी होती
दिल मे में जिनका कोई निशान निशाँ न रहा क्यो क्यों न चेहरो पे वो रंग खिले
अब तो खली ख़ाली है रूह जस्बो जज़्बों से अब भी क्या तबाज़ से ना न मिले
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