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त्रिवेणी 1 / गुलज़ार

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नया पृष्ठ: {{KKRachna |रचनाकार=गुलज़ार |संग्रह = पुखराज / गुलज़ार }} <poem> आओ, सारे पहन ले…
{{KKRachna
|रचनाकार=गुलज़ार
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आओ, सारे पहन लें आईने
सारे देखेंगे अपना ही चेहरा

रूह ? अपनी भी किसने देखी है!

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