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<br>चौ०-एक बार जननीं अन्हवाए। करि सिंगार पलनाँ पौढ़ाए ॥
<br>निज कुल इष्टदेव भगवाना। पूजा हेतु कीन्ह अस्नाना॥१॥
<br>करि पूजा नैबेद्य चढ़ावा। आपु गई जहँ पाक बनावा॥
<br>बहुरि मातु तहवाँ चलि आई। भोजन करत देख सुत जाई॥२॥
<br>गै जननी सिसु पहिं भयभीता। देखा बाल तहाँ पुनि सूता॥
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