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<poem>

एक

पार्टी के भीतर वो चाहते हैं
समाज में बदलाव
पार्टी से बाहर वो चाहते हैं
अपनी माली हालत में सुधार

पार्टी के भीतर वो चाहते हैं
एकदम अनुशासित तंत्र
पार्टी के बाहर उन्हें चहिए
जनतंत्र और सिर्फ़ जनतंत्र

पार्टी के भीतर वो होते हैं
हार्डकोर मार्क्सवादी
पार्टी के बाहर वो होते हैं
अधकचरे अध्यात्मवादी

पार्टी के भीतर वो होते हैं
एकदम डीक्लास
पार्टी के बाहर वो होते हैं
खुद एक क्लास

पार्टी के भीतर उनका सिद्धांत
समाजवाद-मार्क्सवाद
पार्टी के बाहर उनका सिद्धांत
जातिवाद-अवसरवाद
2004


दो

वो जन्मना महान हैं
ब्राह्मण और धनवान हैं
विष्णु की संतान हैं
लक्ष्मी का वरदान हैं

वो चीख़ चीख़ कर कहते हैं
वाम, वाम, वाम
पर उनके भीतर धड़कता है
राम, राम, राम
2004








<poem>
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