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Kavita Kosh से
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हम मुहब्बत में ढील देते हैं
दुश्मनी हो तो छील देते हैं
किसकी मंजिल मंज़िल है कितनी दूर अभी
यह पता संगे-मील देते हैं
आज इन्साफ इन्साफ़ के पुजारी भी कातिलों क़ातिलों को वकील देते हैं
कौन ईमानदार है अब तो
यह सनद भी ज़लील देते हैं
आइना बेजुबान बेज़ुबान होता है
जब कि चेहरे दलील देते हैं
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