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साँचा:KKPoemOfTheWeek

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<tr><td rowspan=2>[[चित्र:Lotus-48x48.png|middle]]</td>
<td rowspan=2>&nbsp;<font size=4>सप्ताह की कविता</font></td>
<td>&nbsp;&nbsp;'''शीर्षक : भारत का फ़िलीस्तीनइन फ़िरकापरस्तों की बातों में न आ जाना<br>&nbsp;&nbsp;'''रचनाकार:''' [[अंजलीआदिल रशीद]]</td>
</tr>
</table>
<pre style="overflow:auto;height:21em;background:transparent; border:none; font-size:14px">
यह जगह क्या युद्ध स्थल रूहों ने शहीदों की फिर हमको पुकारा हैया वध स्थल सरहद की सुरक्षा का अब फ़र्ज़ तुम्हारा है
सिर हमला हो जो दुश्मन का हम जायेगे सरहद पर निशाना साधे सेना के इतने जवानइस स्थल जाँ देंगे वतन पर क्यों हैंक्या यह ये अरमान हमारा ही देश हैया दुश्मन देश पर कब्जा है
खून से लथपथ बच्चे महिलाएँ युवा बूढ़े इन फिरकापरस्तों की बातों में न आ जानासब उठाये हुए हैं पत्थरमस्जिद भी हमारी है , मंदिर भी हमारा है
इतना गुस्सामौत ये कह के खिलाफ़ इतनी बदसलूकीइस क़दर बेफिक्री क्या यह फिलीस्तीन हैहुमायूँ को भिजवाई थी इक राखीया लौट आया मजहब हो कोई लेकिन तू भाई हमारा है 1942 का मंज़र
समय समाज के साथ पकता हैऔर समाज बड़ा होता हैइंसानी जज़्बों के साथउस मृत बच्चे की अब चाँद भले काफ़िर कह दें आँख की चमक देखो ये जहाँ वालेधरती की शक्ल बदल रही जिसे कहते हैं मानवता वो धर्म हमारा है
वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर का समय बीत चुका रूहों ने शहीदों की फिर हमको पुकारा हैऔर तुम्हारे निपटा देने के तरीके से बन रहे हैं दलदल बन रही हैं गुप्त कब्रेंऔर श्मशान घाट  आग और मिट्टी के इस खेल में क्या दफ़्न हो पायेगा एक पूरा देशउस देश सरहद की सुरक्षा का पूरा जन या गुप्त फाइलों में छुपा ली जाएगी जन के देश होने की हक़ीक़तदेश के आज़ाद होने की ललकव धरती के लहूलुहान होने की सूरत मैं किसी मक्के के खेतया ताल की मछलियों के बारे में नहींकश्मीर की बात कर रहा हूँजी हाँ, आज़ादी के आइने में देखते हुएइस समय कश्मीर की बात कर रहा हूँ अब फ़र्ज़ तुम्हारा है </pre>
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</div><div class='boxbottom_lk'><div></div></div></div>
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