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<Poem>
ये गर्म रेत ये सहरा<ref>जंगल, मैदान, रेगिस्तान</ref> निभा के चलना है
सफ़र तावील<ref>स्वप्न फ़ल फल के अनुसार</ref> है पानी बचा के चलना है
बस इस ख़याल से घबरा के छँट गए सब लोग
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