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[[Category: गुजराती भाषा]]
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<poem>
पिताजी, कल आप फिर दिखाई दिए
वह बचपन यहीं कहीं
खटिया के नीचे झर गया है ।
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'''मूल गुजराती भाषा से अनुवाद : पारुल मशर'''