भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मैंने सुना / लोग ही चुनेंगे रंग

979 bytes added, 09:14, 10 अक्टूबर 2010
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लाल्टू |संग्रह=लोग ही चुनेंगे रंग / लाल्टू }} <poem> ब…
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=लाल्टू
|संग्रह=लोग ही चुनेंगे रंग / लाल्टू
}}
<poem>

बेटी आठवीं में आ गई है
उन्होंने कहा
देखते-देखते दसवीं में चली जाएगी
उन्होंने कहा
एक दिन विदा हो जाएगी.

यह कविता क्यों है
आलोचक डाँटेंगे
इसमें कौन सी छोटी बात बड़ी बनती है
इस टिप्पणी पर तुम कहोगे
नहीं-नहीं बात छोटी बड़ी की नहीं
कविता की है.

बात कविता की है
फिर कहूँ
उन्होंने कहा

बेटी एक दिन विदा हो जाएगी
मैंने सुना.
778
edits