भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार = आलोक धन्वा }} {{KKCatKavita}} <poem> बीसों साल पुराना यह पेड़ …
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार = आलोक धन्वा
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
बीसों साल पुराना
यह पेड़ आम का
शाम के रंग का
ज़मीन तक झुक कर
ऊपर उठी हैं इसकी कई डालियाँ
कुछ तने को ऊपर उठाती
साथ-साथ गयी हैं खुले में
रात में इसके नीचे
सूखी घास जैसी गरमाहट
नीड़, पक्षियों की साँस
उनके डैनों और बीट की गंध
काली मिट्टी जैसी छाया।
(1996)
{{KKRachna
|रचनाकार = आलोक धन्वा
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
बीसों साल पुराना
यह पेड़ आम का
शाम के रंग का
ज़मीन तक झुक कर
ऊपर उठी हैं इसकी कई डालियाँ
कुछ तने को ऊपर उठाती
साथ-साथ गयी हैं खुले में
रात में इसके नीचे
सूखी घास जैसी गरमाहट
नीड़, पक्षियों की साँस
उनके डैनों और बीट की गंध
काली मिट्टी जैसी छाया।
(1996)