भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जंक्शन / आलोक धन्वा

408 bytes added, 07:11, 11 अक्टूबर 2010
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार = आलोक धन्वा }} {{KKCatKavita}} <poem> आह जंक्श‍न ! रेलें जहाँ दे…
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार = आलोक धन्वा
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>

आह जंक्श‍न !
रेलें जहाँ देर तक रुकती हैं
बाक़ी सफ़र के लिए पानी लेती हैं

मैं ढूँढता हूँ वहाँ
अपने पुराने हमसफ़र।

(1994)
778
edits