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{{KKRachna
|रचनाकार=कुमार विश्वास
|संग्रह=कोई दीवाना कहता है / कुमार विश्वास
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प्यासे तन-मन-जीवन को
इस बार तो तू तर कर दे बादडियो बादड़ियो गगरिया भर दे
अंबर से अमृत बरसे
तू बैठ महल मे तरसे
प्यासा ही मर जाएगा
बाहर तो आजा घर से
इस बार समन्दर अपना
बूँदों के हवाले कर दे
सबकी अरदास पता है
रब को सब खास पता है
जो पानी मे में घुल जाए
बस उसको प्यास पता है
बूँदों की लडी लड़ी बिखरा दे
आँगन मे उजाले कर दे
प्यासे तन-मन-जीवन को
इस बार तू तर कर दे