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{{KKRachna
|रचनाकार=कन्हैया लाल सेठिया
|संग्रह=लीलटांस/ कन्हैया लाल सेठिया ’
}}
[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]]
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<Poem>
साच ?
सीर रो धन
स्यालिया खावे,
सपनूं
आंख रो तारो
धीराणा लडावे !
</Poem>