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सत्य / नागार्जुन

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|रचनाकार=नागार्जुन |संग्रह=खिचड़ी विप्लव देखा हमने / नागार्जुन
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<Poempoem>
सत्य को लकवा मार गया है
वह लंबे काठ की तरह
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