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उन सबको दरकिनार कर
अभी पढ़ी जा सकती है कविता
 लॉक-अप के पथरीले हिमकक्ष मेंचीर-फाड़ के लिए जलाए हुए पेट्रोमैक्स की रोशनी को कँपाते हुएहत्यारों द्वारा संचालित न्यायालय मेंझूठ अशिक्षा के विद्यालय मेंशोषण और त्रास के राजतंत्र के भीतरसामरिक असामरिक कर्णधारों के सीने मेंकविता का प्रतिवाद गूँजने दोबांग्लादेश के कवि भी तैयार रहें लोर्का की तरहदम घोंट कर हत्या हो लाश गुम जायेस्टेनगन की गोलियों से बदन छिल जाये-तैयार रहेंतब भी कविता के गाँवों से कविता के शहर को घेरना बहुत ज़रूरी है  यह मृत्यु उपत्यका नहीं है मेरा देशयह जल्लादों का उल्लास-मंच नहीं है मेरा देशयह विस्तीर्ण शमशान नहीं है मेरा देशयह रक्त रंजित कसाईघर नहीं है मेरा देश......</poem>