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{{KKRachna
|रचनाकार=अहमद फ़राज़
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[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>
रातें हैं उदास दिन कड़े हैं,
ऐ दिल तेरे हौसले बड़े हैं,

ऐ यादे-हबीब साथ देना,
कुछ मरहले सख़्त आ पड़े हैं,

रूकना हो अगर तो सौ बहाने,
जाना हो तो रास्ते बड़े हैं,

अब किसे बतायें वजहे-गिरीया,
जब आप भी साथ रो पड़े हैं,

अब जाने कहाँ नसीब ले जायें,
घर से तो ‘फ़राज़’ चल पड़े हैं,
</poem>
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