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रिश्तों का उपवन इतना वीरान नहीं देखा।हमने कभी बुजुर्गों घर के बूढ़ों का अपमान नहीं देखा। जिनकी बुनियादें ही धन्धों पर आधारित हैंऐसे रिश्तों को चढ़ते परवान नहीं देखा।
दिल से दिल के तार मिलाकर जब यारी कर ली
हमने उसके बाद नफ़ा–नुक़सान नहीं देखा।
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