भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
विश्वास / नवनीत पाण्डे
Kavita Kosh से
नहीं नाप सकता
आसमान किसी पैमाने से
नहीं भर सकता
समंदर किसी बर्तन में
नहीं कर सकता बंद
हवा किसी थैले में
नहीं उठा सकता
धरती अपने कांधे पर
नहीं छुपा सकता
आग किसी डिबिया में
फ़िर भी
मुझे है विश्वास
तुम लो परीक्षा
मैं हो जाऊंगा पास