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विश्वास की शक्ल / कुमार कृष्ण
Kavita Kosh से
क्या तुमने देखी है कभी
किसी विश्वास की शक्ल
क्या देखी है उसकी कोई-
खूबसूरत तस्वीर
कोई शानदार ऑयल पेंटिंग
किसी प्रदर्शनी या फिर
किसी अजायबघर में
उसे देखना चाहते हो तो
पक्के-मज़बूत घरों से निकलकर
किसी कच्चे घर के अन्दर जाओ
जहाँ मिट्टी की दीवारों पर
होते हैं लटके हुए-
खूँटियों पर चीथड़े
टपकता दिन-रात घास का छप्पर
जलता है ढिबरी में घासलेट
भात में नमक मिलाकर
पुआल के बिस्तर पर
हँसते-हँसाते सो जाता है-
एक पूरा परिवार
सुबह की प्रतीक्षा में।