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वो: एक / बिमल कृष्ण अश्क
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मैं जब उस से मिलने जाता हूँ अकेले रास्ते पर
अन-गिनत आँखें सितारों रंग-रेज़ों पŸिायों की
मेरे क़दमों पर जमी होती हैं लेकिन
मेरे सर पर हाथ होता है किसी का
जब मेरे कपड़ों के गहरे ज़ख़्म बे-आवाज़ जेबें
भर नहीं सकते तमन्नाएँ सर-ए-मिज़्गान-ए-ग़ुर्बत
मेरे दिल में फूट कर रोती हैं लेकिन
मेरे सर पर हाथ होता है किसी का
गो तसव्वुर के भयानक जंगलों में दिन-दहाड़े
अन-गिनत ग़म की चुड़ेलें ज़हर की घमसान खेती
दामन-ए-एहसास पर बोती हैं लेकिन
मेरे सर पर हाथ होता है किसी का