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वो सभी दर्द / डोरिस कारेवा / अनिल जनविजय
Kavita Kosh से
वो सभी दर्द
जो जकड़ते हैं हमें
देर - सवेर
उनमें से चुनते हैं हम
किसी एक को
कि वो हममें ढुलके
और
हमारे प्राण को खंगाले ।
यही
हमारी क़िस्मत है
कि ख़ुद ढुलकाएँ दर्द ।
यही
हमारे अन्तरतम का
मर्म और रूप है ।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल जनविजय
और लीजिए, अब यही कविता अँग्रेज़ी अनुवाद में पढ़िए
Doris Kareva
Of all pains
Of all pains
that seize us,
sooner or later
we choose one
and let it
pour into us
to cast our
spirits. That is
our fate,
the self-casting pain;
that is our innermost
essence and form.
Translated by Doris Kareva and Andres Aule