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व्यस्तता / तसलीमा नसरीन / सुलोचना
Kavita Kosh से
मैंने तुम्हारा विश्वास किया था, जो कुछ भी था मेरा सब दिया था,
जो कुछ भी अर्जन-उपार्जन !
अब देखो ना भिखारी की तरह कैसे बैठी रहती हूँ !
कोई पीछे मुड़कर नहीं देखता ।
तुम्हारे पास देखने का समय क्यों होगा ! कितने तरह के काम हैं तुम्हारे पास !
आजकल तो व्यस्तता भी बढ़ गई है बहुत ।
उस दिन मैंने देखा वह प्यार
न जाने किसे देने में बहुत व्यस्त थे तुम,
जो तुम्हें मैंने दिया था ।
मूल बांगला से अनुवाद : सुलोचना