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शब्द-१ / ओम पुरोहित ‘कागद’
Kavita Kosh से
युद्ध में
मानव की
लगातार हार के बाद भी
शेष हैं
शब्द
दिपते
सूरज की तरह
सहयोगार्थ
प्रीत की रीत
फ़ैलाने !
अनुवाद-अंकिता पुरोहित "कागदांश"