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शहर-1 / अम्बिका दत्त
Kavita Kosh से
ये शहर
आदमियों का जंगल है
सड़क/अजगर सी पड़ी है
धुआँ धमनियों में
और लहू चिमनियों में बसता है
‘‘स्नेक गार्डन’’ में
डर किस बात का भला
कोई साँप मरता है ?