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शहर में साँप / 54 / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय

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वैं कहलकै
ऊ दंतहीन-विषहीन
गाँव के छोरा
जहिया शहर गेलै
तहिया सेॅ ओकरा
दांतो उग गेलै आरो
विष से भी भैर गेलै।

अनुवाद:

उसने कहा
वह दंतहीन-विषहीन
गाँव का छोरा
जब शहर गया
तब उसके
दाँत भी उग आये और
विष से भी भर गया।