कविता कोश पूरी तरह से अव्यवसायिक परियोजना है। इसमें शामिल रचनाकारों और रचनाओं का चयन कविता कोश टीम द्वारा रचनाओं की गुणवत्ता के आधार पर किया जाता है। यदि कोई भी व्यक्ति ऐसा कहता है कि वह पैसे लेकर या किसी भी अन्य तरह से इस कोश में रचनाएँ शामिल करवा सकता है तो वह व्यक्ति ग़लत है। यदि कोई व्यक्ति आपसे ऐसी बात कहता है तो कृपया हमें kavitakosh@gmail.com पर सूचित करें।
शाम नृपती मुरली भई रानी ॥ध्रु०॥
बन ते ल्याय सुहागिनी किनी । और नारी उनको न सोहानी ॥१॥
कबहु अधर आलिंगन कबहु । बचन सुनन तनु दसा भुलानी ॥२॥
सुरदास प्रभू तुमारे सरनकु । प्रेम नेमसे मिलजानी ॥३॥