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शालीनता सभतरि घटल छै / नवल श्री 'पंकज'
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शालीनता सभतरि घटल छै
अश्लीलता आदति बनल छै
कठिनाह अनुशासित रहब बड़
उद्दंडता राखब सरल छै
मिथिलाक झंडा हाथमे धरि
हिय-माथमे मगही धँसल छै
सभ बेच रहलै मैथिलीकें
आ पेट एहिसँ भरि रहल छै
छै भेल शोणित पानि सनके
नहि लाज ककरोमे बचल छै
ककरा कहब आ के सुनत गप
कबिलाठ सभ अपने "नवल" छै