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शुद्ध प्रेम राधा माधव का / हनुमानप्रसाद पोद्दार
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पद-रत्नाकर / भाग- 3
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शुद्ध-प्रेम राधा-माधव का सहज मिटा देता सब चाह।
रहती नहीं मोक्ष-सुख-इच्छा, नहीं नरक-दुख की परवाह॥