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शून्य / मणिका दास
Kavita Kosh से
झींगुर की
आवाज़ के साथ
बढ़ जाता है विषाद
आधी रात
जागकर
सिसकती रहती है
शून्यता
मूल असमिया से अनुवाद : दिनकर कुमार