बिदेसिया गीत को याद करते हुए
दिन गिनते
पिराती रहीं उनकी अँगुलियाँ,
राह तकते
दुखती रहीं उनकी आँखें,
वे शोक में डूबी रहीं
जहाँ भी गईं
उनके आँगन में
एक मचिया रही उदास,
जिस पर बैठ
वे अर्ज़ करना चाहती थीं कुछ
अच्छे समय के बारे में,
वे पूछती रहीं , एक दूसरे से
अच्छे समय का पता ।