भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
संदेश / इला प्रसाद
Kavita Kosh से
दो देशों की दूरियाँ लाँघकर
आज जब अचानक
तुम्हारा संदेशा आया
मैंने जाना
कि समय की सीपी से
याद का मोती निकाल
वह जो मैंने गूँथी थी
नेह के धागे से,
वह सच्चे मोतियों की माला थी।