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संयोग / ओक्ताविओ पाज़
Kavita Kosh से
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मेरे नेत्र
खोजते है
तुम्हारी निर्वसनता
और
उसे आच्छादित कर देते हैं
दृष्टि की
गुनगुनी बारिश से।