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सड़क पर / श्रीप्रसाद
Kavita Kosh से
कितनी तरह के लोग हैं, जाते हैं सड़क पर
हँसते हैं, खुशी खूब दिखाते हैं सड़क पर
सिर पर रखे हैं बोझ और चल रहे पैदल
हैं जी में मस्त, गीत-सा गाते हैं सड़क पर
लेकिन उदास जो हैं, दुखी होंगे हृदय में
जाते हुए न जोश वे लाते हैं सड़क पर
बूढ़े हैं, औरतें हैं, बच्चियाँ हैं परी-सी
बच्चे कुदक के मौज मनाते हैं सड़क पर
कितने चले हैं तेज, धीरे-धीरे कुछ चले
जाते हैं इधर, उस तरफ आते हैं सड़क पर
कुछ चल रहे हैं इस तरह, हो काम कुछ नहीं
चींटी की चाल को भी लजाते हैं सड़क पर
हम भी तो जा रहे हैं, दोस्त साथ हैं सभी
पढ़ने चले हैं, पाँव बढ़ाते हैं सड़क पर।