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सनेसोॅ के भारोॅ / पतझड़ / श्रीउमेश
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					कुन्डा भारोॅ लेॅ केॅ ऐलोॅ छै सनेस के चार जवान।
हिनकोॅ करनी देखी केॅ, हमरा भेलोॅ हिनकोॅ पहिचान॥
कुन्डा खोली केॅ, लडु-खाजा गमछा पर राखै छै।
आँख मुनी केॅ बड़ी स्वाद सें चारौ मरदें चाखै छै॥
जुट्ठै हाथें दही निकाली छाली पर मारै छै हाथ।
आकरा देखी, बाकी तीनौं मरदें दै छै ओकरे साथ॥
फेनू कुंडा झाँपी-झूपी घरबैया के गेलोॅ द्वार।
भोला-भाला घरबैया सें पाबै छेॅ पूरे सत्कार॥
एकरा सबके लीला देखी केॅ पड़लोॅ छी हैरत में।
ठाढ़े लै छै जात; अरे! दुनियां पड़लोॅ छै गैरत में॥
	
	