भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सन्नाटा / अर्चना कुमारी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सारी दुनिया लिखने वाला
नहीं लिख पाता अपनी ही कहानी
तमाम लफ़्ज़ों को बहलाता
खुद को झुठलाता
एक वही जानता है
कि वो जो लिख नहीं सकता कभी
वही सच है...
अपनी कहानियों के नाम
सन्नाटे गूंजते हैं।