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सपना रे सपना / गुलज़ार
Kavita Kosh से
सपना रे सपना, है कोई अपना
अंखियों में आ भर जा
अंखियों की डिबिया, भर दे रे निंदिया
जादू से जादू कर जा
सपना रे सपना, है कोई अपना
अंखियों में आ भर जा ना
सपना रे सपना, है कोई अपना
अंखियों में आ भर जा ना
भूरे भूरे बादलों के भालू
लोरियां सुनाये लारा रा रु
तारों के कंचों से रात भर खेलेंगे
सपनों में चन्दा और तू
सपना रे सपना, है कोई अपना
अंखियों में आ भर जा
पीले पीले केसरी हैं गाँव
गीली गीली चांदनी की छाँव
बगुलों के जैसे रे डूबे हुए हैं रे
पानी में सपनों के पाँव
सपना रे सपना, है कोई अपना
अंखियों में आ भर जा
अंखियों की डिबिया, भर दे रे निंदिया
जादू से जादू कर जा
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